1949 में स्थापना, 30 देश हैं सदस्य
उत्तर अटालांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Orgnization or NATO) उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों का एक सैन्य संगठन है। इसकी स्थापना 1949 में हुई थी। नाटो का उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य माध्यमों से अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देना है। सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद बने इस संगठन का उस समय मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को सीमित करना था। नाटो जब बना तो अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल इसके 12 संस्थापक सदस्य थे। वर्तमान में इसके सदस्यों (NATO Countries) की संख्या 30 है। नॉर्थ मैसेडोनिया साल 2020 में इसमें शामिल होने वाले सबसे नया मेंबर है।
उत्तरी अटलाण्टिक सन्धि संगठन (अंग्रेज़ी: North Atlantic Treaty Organization, NATO
नाटो देता है सदस्यों को सुरक्षा का आश्वासन
नाटो के गठन के समय जो समझौता हुआ था उसके तहत इसमें शामिल होने वाले सभी यूरोपीय देशों के लिए खुले दरवाजे की नीति अपनाई गई थी। इसके तहत इसमें कोई भी यूरोपीय देश शामिल हो सकता था। इसके साथ ही इसमें सदस्य देशों के लिए एक सुरक्षा का प्रावधान भी था। इसमें साझा सुरक्षा को लेकर एक घोषणा पत्र में अुनच्छेद भी है। इसके तहत इसके तहत कहा गया है कि यदि कोई बाहरी देश इसके सदस्य देशों पर हमला करता है तो फिर सभी सदस्य देश मिलकर उसकी रक्षा करेंगे। चूंकि, यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं है ऐसे में नाटो के देश सीधे तौर पर उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ सकते हैं। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सीधे तौर पर यूक्रेन की मदद कर रहे हैं।
सदस्य बनने के लिए यूरोपीय देश होना जरूरी
नाटो का सदस्य बनने के लिए यूरोपीय देश होना जरूरी शर्त है। हालांकि, अपनी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से नाटो ने कई अन्य देशों से भी अपने संपर्क स्थापित किए हैं। अल्जीरिया, मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को और ट्यूनिशिया भी नाटो के सहयोगी हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी नाटो की भूमिका रही है।
स्थापना: ४ अप्रैल १९४९
मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम
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