नासा का जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप एक महीने में पृथ्वी से लगभग 16 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके अपने फाइनल स्थिर बिंदु यानी दूसरे लाग्रांज पॉइंट (L2) पर पहुंच गया है।
नासा का जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप एक महीने में पृथ्वी से लगभग 16 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके अपने फाइनल स्थिर बिंदु यानी दूसरे लाग्रांज पॉइंट (L2) पर पहुंच गया है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी दी है। इस टेलिस्कोप को नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कैनेडियन स्पेस एजेंसी ने तैयार किया है।
🏠 Home, home on Lagrange! We successfully completed our burn to start #NASAWebb on its orbit of the 2nd Lagrange point (L2), about a million miles (1.5 million km) from Earth. It will orbit the Sun, in line with Earth, as it orbits L2. https://t.co/bsIU3vccAj #UnfoldTheUniverse pic.twitter.com/WDhuANEP5h
— NASA Webb Telescope (@NASAWebb) January 24, 2022
क्या है लाग्रांज पाइंट?
लाग्रांज पॉइंट वह दूरी है जहां किसी भी वस्तु पर पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव एक समान रहता है। इस वजह से वस्तु स्थिर हो जाती है और फ्यूल की खपत कम हो जाती है। हालांकि, नासा की तरफ से कहा गया है कि यह पॉइंट पूरी तरह से भी स्थिर नहीं है। पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लाग्रांज पॉइंट हैं, जिन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 कहा जाता है। लाग्रांज पॉइंट का नाम फ्रांस के गणितज्ञ जोसेफ लुई लाग्रांज के नाम पर रखा गया है।
दूसरा लाग्रांज पाइंट या L2 पॉइंट सबसे आदर्श स्थान है। इस जगह पर टेलिस्कोप में लगे उपकरण ज्यादा गर्म नहीं होगें। इसके साथ ही इस पाइंट पर गुरुत्वाकर्षण संतुलन अन्य पॉइंट के मुकाबले ज्यादा रहता है। यहां नासा इसके ऑपटिक्स और दूसरे उपकरणों की जांच करेगा। जिसके बाद ये अपना आगे का काम शुरू करेगा।
पिछले साल क्रिस्मस पर किया गया था लॉन्च
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप को पिछले साल 25 दिसंबर पर एरियन रॉकेट के जरिए फ्रेंच गुयाना स्थित लॉन्चिंग बेस से लॉन्च किया गया था। इस पर करीब 75 हजार करोड़ रुपए खर्च आया है। यह दुनिया का सबसे ताकतवर टेलिस्कोप है। इसकी क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह अंतरिक्ष से धरती पर उड़ रही चिड़िया को भी आसानी से डिटेक्ट कर सकता है।
टेलिस्कोप के ऑप्टिक्स पर सोने की बारीकNOW: Media telecon with @NASAWebb mission experts on the space telescope's mirror movements and successful orbital insertion burn: https://t.co/z1RgZwQkWS pic.twitter.com/yAvevmt3os
— NASA (@NASA) January 24, 2022
टेलिस्कोप के ऑप्टिक्स पर सोने की बारीक परत चढ़ाई गई है। यह परत इंफ्रारेड लाइट को डिफलेक्ट कर देगी, इससे टेलिस्कोप ठंडा बना रहेगा। कैमरों को सूरज की हीट से बचाने के लिए इसमें टेनिस कोर्ट के आकार की 5 लेयर वाली सनशील्ड लगाई गई है। टेलिस्कोप का व्यास 21 मीटर है। 1990 में भेजे गए हबल टेलिस्कोप के मुकाबले यह 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। इसके जरिए ब्रह्मांड के शुरुआती काल में बने गैलेक्सी, उल्कापिंड और ग्रहों का भी पता लगाया जा सकता है।
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