Skip to main content

खरगोन - मध्यप्रदेश में घुमने के लिए प्रमुख स्थान

 मध्यप्रदेश के पूर्वी निमाड़ तथा महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ नगर खरगोन एक बहुत ही प्राचीन शहर है | खरगोन जिला कुंडा नदी के तट पर बसा हुआ है वहीँ इसकी दूसरी और नर्मदा नदी भी बहती है जिसके किनारे कई दार्शनिक, एतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थल है जिन्हें देखने और घुमने बड़ी संख्या में सैलानी पुरे वर्ष भर आते है | अगर खरगोन के इतिहास की बात करे तो इसका इतिहास महान राजाओ और रानियों से जुड़ा हुआ है, खरगोन जिले का महेश्वर शहर एक समय पर महान रानी देवी अहिल्या की राजधानी रहा है, उनके राज में महेश्वर शहर कर चाहोमुखी विकास हुआ, साथ ही उन्होंने महेश्वर और जहाँ तक उनका साम्राज्य फैला था वहां तक अंग्रेजी और मुगलिया हुकूमत से इसकी रक्षा भी की | इसके अलवा खरगोन का नाता मराठा साम्राज्य के महान शासक रहे पेशवा बाजीराव से भी रहा है, पेशवा बाजीराव ने खरगोन जिले के रावेरीखेडी गाँव में ही अपनी अंतिम सांसे ली थी | खरगोन जिले अपनी एक अलग दार्शनिक पहचान भी रखता है यहाँ उन, मण्डलेश्वर, महेश्वर, नागलवाडी, सिरवेल आदि स्थान जहाँ महादेव शिव शंकर और अन्य देवी देवताओ के प्राचीन मंदिर बने हुए है | जानते है खरगोन जिले के इन सभी पर्यटन स्थलों को थोडा विस्तार से हमारे इस आर्टिकल के द्वारा |

      
खरगोन में घुमने के लिए प्रमुख दार्शनिक और एतिहासिक पर्यटन स्थल –

1. महेश्वर – महेश्वर अपने नाम से ही एक प्राचीन शहर प्रतीत होता है, ये शहर एक दार्शनिक स्थल है और नर्मदा नदी के तट पर बसा हुआ है | यहाँ पर नर्मदा नदी के तट पर बहुत से प्राचीन मंदिर बने हुए है जिनके ऊपर प्राचीनकाल की कलाकृतिय बनी हुई है जो इसके प्राचीनतम होने का प्रमाण देती है, इसके अतिरिक्त महेश्वर महान रानी देवी अहिल्या की राजधानी भी रहा है जिन्होंने यहाँ लम्बे समय तक राज किया था | उसी की झलक यहाँ मौजूद अहिल्या देवी किले में मिलती है | जो बहुत ही भव्य बना हुआ है | महेश्वर में नर्मदा नदी के तट पर कई दार्शनिक स्थल भी है जिन्हें देखने के लिए बड़ी मात्र में सैलानी पुरे वर्ष यहाँ आते है जो यहाँ मुख्य आकर्षण का केंद्र है | महेश्वर में बनाने वाली साड़ियाँ भी प्रदेश सहित देश के कोने कोने में काफी मशहूर है | इसके अलवा यहाँ एक जल धारा है जिसे सहस्त्रधारा कहते है यहाँ सहस्त्र माँ आशय 100 से है | ये धाराएँ नर्मदा नदी में है जिन्हें देखने पर्यटक बड़ी दूर दूर से आते है |




2. पेशवा बाजीराव की समाधी – खरगोन जिले की तहसील सनावद के गाँव रावेरीखेडी में मराठा साम्राज्य के महान शासक पेशवा बाजीराव की समाधी है | पेशवा बाजीराव एक महान शासक थे जिसका प्रमाण इतिहास खुद देता है कहा जाता है बाजीराव पेशवा ने अपने जीवनकाल में कभी कोई युद्ध नहीं हारा, उनकी युद्ध करने की कुशल निति के कारण मुगलिया सलतनत पूरी तरह से हिल गयी थी | बाजीराव पेशवा की दो रानियाँ थी एक थी काशीबाई और दूसरी मस्तानी जो की बुंदेलखंड के राजा जी पुत्री थी | मस्तानी और बाजीराव की प्रेम कहानी पर बॉलीवुड में एक फिल्म बाजीराव मस्तानी बनी है | जिसे आप सभी ने देखा होगा | बाजीराव पेशवा ने अपने जीवन के अंतिम दिन रावेरीखेडी में ही बिताये थे जिसकी याद में यहाँ उनकी समाधी बने गयी है जिसे देखने दूर दूर से पर्यटक आते है |



3. सिरवेल महादेव – सिरवेल महादेव मंदिर खरगोन जिले का सबसे प्राचीनतम मंदिर है, ये मंदिर सतपुड़ा पर्वत की वादियों में बसा हुआ है जिसके यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है, साथ ही यहाँ पर पर्वत से गिरता हुआ एक झरना भी है जो इसकी सुन्दरता को और अधिक बड़ा देता है | कहा जाता है रावण ने यही पर भगवान शिव को अपने दस सर दान किये थे जिसके इस मंदिर का नाम सिरवेल महादेव पड़ा है | इससे की पता चलता है की इस मंदिर का इतिहास कितना विस्तृत है | महाशिवरात्रि और सावन मास के दौरान यहाँ बड़ी मात्र में श्रद्धालु दर्शन और घुमने के लिए आते है |


4. मण्डलेश्वर – मण्डलेश्वर भी नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है और ये भी एक दार्शनिक स्थल है | यहाँ पर नर्मदा नदी के घाट पर कई देवी देवताओ के मंदिर बने हुए है जिनमे दर्शन करने के लिए बड़ी मात्र में श्रद्धालु लगातार यहाँ आते है | मण्डलेश्वर एक गाँव चोली का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है कहा जाता है वनवास के दौरान पांडव यहाँ से गुजरे थे और कुछ समय यहाँ ठहरे थी, जिसके प्रमाण गाँव में मौजूद कई मंदिरों में मिलते है इस गाँव में एक प्राचीनतम शिव मंदिर भी स्थापित है जो की बहुत ही भव्य है |




5. ऊन – ऊन खरगोन जिले का वह पर्यटन स्थल है जिसे बावडियों की नगरी कहा जाता है | ऊन में स्थापित महालक्ष्मी और जैन मंदिर प्रदेश के साथ साथ देश के अन्य कोनो में भी अपनी अलग पहचान रखते है, इसके अलवा ऊन में 99 और मंदिर है जो अपनी वास्तुकला के कारण बहुत लोक प्रिय है कहा जाता है ऊन में मौजूद कई मंदिर परमार कालीन युग के है जिन्हें परमार राजाओ ने अपने शासन कल के दौरान बनवाया था तथा यहाँ के संग्रहालय में परमार कालीन कई मुर्तिया भी है जो पुरातत्व विभाग को यहाँ की खुदाई में मिली थी |


6. पावानगिरी तीर्थ स्थल – पावानगिरी तीर्थ स्थल हिन्दू और जैन धर्म का एक बड़ा ही प्राचीन तीर्थ स्थल है | यहाँ पर स्थापित मंदिर 12वीं शताब्दी के बताये जाते है, इनमे से कई मंदिर हिन्दू धर्म तो कई जैन धर्म को समर्पित है | यहाँ कुल 12 मंदिर है जो एक दुसरे से जुड़े हुए है कहे तो इन मंदिरों का पूरा एक समूह है जिसे देखने के लिए बड़ी मात्र में पर्यटक और श्रद्धालु पुरे साल यहाँ घुमने और दर्शन के लिए आते है |



7. चिड़िया भड़क झरना – चिड़िया भड़क झरना खरगोन की बडवाह तहसील में एक प्राकृतिक झरना है जिसके आस पास का वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर है | इस झरने को मालवा का भेडाघाट भी कहा जाता है | ये झरना चोरल नदी में मौजूद है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है | यहाँ आने का सही समय बारिश और उसके बाद का होता है झरने की सुन्दरता इस समय देखते ही बनती है |



Comments

Popular posts from this blog

રોજગાર સમાચાર - કારકિર્દી માર્ગદર્શન વિશેષાંક-૨૦૨૨

રોજગાર સમાચાર - કારકિર્દી માર્ગદર્શન વિશેષાંક-૨૦૨૨