1. महांकाल मंदिर उज्जैन – उज्जैन का महांकाल मंदिर अपने आप में ही बहुत विस्तृत है आपको जान कर हैरानी होगी देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से केवल महांकाल ज्योतिर्लिंग ही दक्षिण मुखी है, तथा केवल महांकाल मंदिर में ही भस्म आरती होती है जहाँ भगवान महांकाल को चिता की भस्म से विभूषित किया जाता है ये आरती हर प्रातःकाल 4 बजे होती है, भगवान महांकाल को उज्जैन के लोग शहर और समस्त श्रृष्टि का राजा कहते है, कहा जाता है उज्जैन में कोई भी बड़ा व्यक्ति जो किसी देश का प्रमुख हो उज्जैन में रात्रि को नहीं रुक सकता, कहा जाता है अगर ऐसा कोई करता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है, स्वयं उज्जैन के राजा रहे महाराजा विक्रमादित्य भी कभी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते थे | इसके पीछे की कहानी हम आपको एक अन्य आर्टिकल के द्वारा कुछ समय बाद बताएँगे | महांकाल मंदिर परिसर में और भी कई मंदिर है, वाही भगवान महांकाल गर्भगृह में विरजमान है | भगवान महांकाल का पुरे दिन पञ्च बार श्रृंगार होता है, और हर श्रृंगार हर दिन अलग होता है इससे पता चलता है 365 दिन में भगवान महांकाल के 1825 श्रृंगार होते है | श्रवण मास का उज्जैन में काफी ज्यादा महत्व है और महांकाल मंदिर में भी क्यूंकि श्रवण मास में बाबा महांकाल शहर की जनता का हाल जानने के लिए प्रत्येक सोमवार को निकलते है जिसमे सबसे अंतिम सवारी को सही सवारी कहते है, श्रवण मास में महांकाल के कई अद्भुत श्रंगार भी देखने को मिलते है, इसी तरह महाशिवरात्रि पर भी 9 दिन तक भगवान महांकाल अलग रूप में दर्शन देते है और सर पर शेहरा सजाते है | महांकाल मंदिर भक्तो के लिए दर्शन का समय सुबह 4 से रात्रि 11 बजे तक रहता है, सुबह होने वाली भस्म आरती के लिए विशेष दर्शन और पंजीयन करवाना पड़ता है |
2. राम घाट – राम घाट महांकाल मंदिर से कुछ किलोमीटर की दुरी है, जो की सबसे प्राचीन स्नान घटो में से एक है, सिंहस्थ महाकुम्भ भी इसी घाट पर लगता है कहा जाये तो इस घाट पर सनन करने का विशेष महत्व माना जाता है, सूर्यास्त के समय राम घाट का दृश्य बहुत ही मनोरम एवं खुबसूरत होता है, हर बड़ी अमावस को यहाँ भारी मात्र में लोग शिप्रा नदी में स्नान करने आते है | बाबा महांकाल की शाही सवारी भी यही से गुजरती है जहाँ भगवान स्नान करते है |
3. हरसिद्धि मंदिर - हरसिद्धि माता का मंदिर 52 शक्ति पीठो में से एक है ये मंदिर महांकाल मंदिर से कुछ दुरी पर स्थित है जहाँ माता सती अंश के रूप में विराजित है, महाशिवरात्रि के समय बाबा महांकाल बारात लेकर माता हरसिद्धि के मंदिर में जाते जहाँ हर वर्ष दोनों का विवाह संपन्न कराया जाता है, हर सिद्धि माता मंदिर परिसर में दो बड़े दीपखम्ब लगे है जिन्हें हर दिन संध्या के समय प्रजवलित किया जाता है जिसका दृश्य बहुत अद्भुत होता है|
4. चारधाम मंदिर – चारधाम मंदिर भारत के चारो धमो को समर्पित है, इस मंदिर में चारो धमो के छोटे प्रतिक स्थापित है, भारत के चारधाम पूरी जगन्नाथ, केदारनाथ, द्वारिका और रामेश्वरम है जो इस मंदिर में स्थापित है | अगर आप चार धाम के दर्शन करना चाहते है तो आप उज्जैन आ कर इस मंदिर में इसका लाभ उठा सकते है |
5. काल भैरव मंदिर – उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर अपने आप में ही एक आश्चर्य है | यहाँ विराजित भगवान काल भैरव मदिरा का पान करते है जो की एक बहुत बड़ा आश्चर्य है जैसे ही भगवान काल भैरव के मुख पर मदिरा का प्याला लगाया जाता है प्याला स्वतः ही खली हो जाता है इस आश्चर्य को देखने यहाँ बहुत दूर दूर से लोग आते है और अपनी संतुष्टि के लिए भगवान काल भैरव को अपने हाथो से मदिरापान करवाते है | वैज्ञानिक भी इसके पीछे का राज आज तक नही खोज पाए है |
6. गोमती कुंड – गोमती कुंड महर्षि संदीपनी के आश्रम के निकट स्थित है | इस कुंड में विश्व के सभी पवित्र जलाशयों का जल भगवान श्री कृष्णा द्वारा एकत्र किया गया है ये कार्य भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु महर्षि संदीपनी के लिए किया ताकि उन्हें बार बार लम्बी यात्रा न करनी पड़े | गोमती कुंड का वातावरण बहुत ही शांत और मनोरम है यहाँ आप प्राचीन काल से जुड़े कई दृश्यों को देख सकते है |
7. चिंतामण गणेश मंदिर - चिंतामण गणेश मंदिर महांकाल मंदिर परिसर से कुछ ही दुरी पर स्थित है | श्री चिंतामण गणेश का मालवा क्षेत्र में बड़ा ही महत्व है यहाँ होने वाले विवाह समारोह की पहली पत्रिका इसी मंदिर में दी जाती है कहा जाता है ये परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है लोग कहते है श्री चिंतामण गणेश के दर्शन मात्र से आपकी सारी चिन्ताओ का हरण होता है जिसके कारण यहाँ भगतो का जमवाडा हमेशा लगा रहता है |
Comments
Post a Comment