नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य एनईपी 2020 स्कूल से दूर रह रहे 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में लाएगा 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ नए 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम पढ़ने-लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर, स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं,पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं;इंटर्नशिप के साथ कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई समग्र विकास कार्ड के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया में पूरी तरह सुधार, सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की प्रगति पर पूरी नज़र रखना उच्च शिक्षा में जीईआर को 2035 तक 50% तक बढ़ाया जाना;उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होगी उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ पाठ्यक्रम के बीच मेंनामांकन / निकासकी अनुमति होगी
साल 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन सोमवार 13 जनवरी से होने जा रहा है। यह लोगों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है जिसमें करोड़ों की संख्या में भीड़ जुटने का अनुमान है। यह महाकुंभ इसलिए भी खास होने वाला है क्योंकि इसका आयोजन 144 वर्षों बाद होने जा रहा है। कुंभ मेलों के प्रकार महाकुंभ मेला: यह केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. यह प्रत्येक 144 वर्षों में या 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद आता है. पूर्ण कुंभ मेला: यह हर 12 साल में आता है. मुख्य रूप से भारत में 4 कुंभ मेला स्थान यानि प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किए जाते हैं. यह हर 12 साल में इन 4 स्थानों पर बारी-बारी आता है. अर्ध कुंभ मेला: इसका अर्थ है आधा कुंभ मेला जो भारत में हर 6 साल में केवल दो स्थानों पर होता है यानी हरिद्वार और प्रयागराज. कुंभ मेला: चार अलग-अलग स्थानों पर राज्य सरकारों द्वारा हर तीन साल में आयोजित किया जाता है. लाखों लोग आध्यात्मिक उत्साह के साथ भाग लेते हैं. माघ कुंभ मेला: इसे मिनी कुंभ मेले के रूप में भी जाना जाता है जो प्रतिवर्ष और केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. यह ह...
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