श्री क्षत्रिय युवक संघ के सर्वोच्च सहयोगी माननीय संघ प्रमुख होते हैं। प्रति पाँच वर्ष में संघ के स्वयं सेवक संघप्रमुख का चुनाव करते हैं। शेष सभी सहयोगियों को आवश्यकतानुसार संघ प्रमुख नियुक्त करते हैं। संघ के संस्थापक पूज्य तनंसिंह जी 1946 से 1954 तक, श्रद्धेय आयुवानंसिंह जी हुडील 1954 से 1959 तक, पूज्य तनंसिंह जी 1959 से 1969 तक एवं श्रद्धेय नारायण सिंह जी 1969 से 1979 तक पूज्य तनसिंह जी के सानिध्य में और 1979 से 1989 तक स्वतन्त्र रूप से संघ प्रमुख रहे। 1989 से अनवरत माननीय भगवानसिंह जी रोलसाबसर के नेतृत्व में संघ के चरण निरंतर गतिमान हैं। संघ प्रमुख के अधीन केन्द्रीय कार्यालय, शाखा कार्यालय, संस्था कार्यालय आदि कार्यरत हैं। प्रतिवर्ष गर्मियों में उच्च प्रशिक्षण शिविर में संघ प्रमुख एक वर्ष के लिए अपने सहयोगियों की नियुक्ति करते हैं। संपूर्ण कर्मक्षेत्र को संभागों में विभक्त कर संभागप्रमुख, संभागों को प्रांतों (प्रायः जिला) में विभक्त कर प्रांत प्रमुख एवं प्रांतों को मंडलों में विभक्त कर मण्डल प्रमुख की नियुक्ति प्रतिवर्ष की जाती है। शाखा स्तर पर शाखा प्रमुख, शिक्षण प्रमुख एवं विस्तार प्रमुखों की नियुक्ति की जाती है। प्रांत प्रमुख के विभिन्न कार्यों के लिए भी आवश्यकतानुसार प्रभारी नियुक्त किए जाते हैं। शाखाओं की रिपोर्ट प्रतिमाह प्रांत प्रमुख के माध्यम से शाखा कार्यालय को एवं शिविरों की रिपोर्ट शिविर प्रमुख द्वारा शिविर कार्यालय को भेजी जाती है। शिविर प्रमुखों की नियुकित विभिन्न शिविरों के अनुसार संघ प्रमुख द्वारा की जाती है। प्रांत प्रमुख प्रतिवर्ष अपने प्रांतों में संभावित शिविरों के प्रस्ताव उच्च प्रशिक्षण शिविर में स्थान एवं समय के विवरण सहित लेकर आते हैं जिन्हें संघ प्रमुख की अनुमति मिलने पर निश्चित किया जाता है। ऐसे निश्चित हुए शिविरों की सूचना संघशक्ति मासिक पत्रिका एवं पथ-प्रेरक पाक्षिक समाचार पत्र द्वारा प्रसारित की जाती है।
साल 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन सोमवार 13 जनवरी से होने जा रहा है। यह लोगों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है जिसमें करोड़ों की संख्या में भीड़ जुटने का अनुमान है। यह महाकुंभ इसलिए भी खास होने वाला है क्योंकि इसका आयोजन 144 वर्षों बाद होने जा रहा है। कुंभ मेलों के प्रकार महाकुंभ मेला: यह केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. यह प्रत्येक 144 वर्षों में या 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद आता है. पूर्ण कुंभ मेला: यह हर 12 साल में आता है. मुख्य रूप से भारत में 4 कुंभ मेला स्थान यानि प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किए जाते हैं. यह हर 12 साल में इन 4 स्थानों पर बारी-बारी आता है. अर्ध कुंभ मेला: इसका अर्थ है आधा कुंभ मेला जो भारत में हर 6 साल में केवल दो स्थानों पर होता है यानी हरिद्वार और प्रयागराज. कुंभ मेला: चार अलग-अलग स्थानों पर राज्य सरकारों द्वारा हर तीन साल में आयोजित किया जाता है. लाखों लोग आध्यात्मिक उत्साह के साथ भाग लेते हैं. माघ कुंभ मेला: इसे मिनी कुंभ मेले के रूप में भी जाना जाता है जो प्रतिवर्ष और केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. यह ह...
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