Skip to main content

Sovereign Gold Bond 2023-24 series III..December 18

 The Reserve Bank of India on December 15 set an issue price of ₹6,199 per gram for the Sovereign Gold Bonds (SGBs) 2023-24 Series III. The price will be lower by ₹50 per gram for those who subscribe through the online mode.

The  subscription window for Sovereign Gold Bonds (SGBs) 2023-24 Series III will open for five trading days, starting from December 18 until December 22. The issuance of these bonds is scheduled for December 28, 2023. The price for the tranche was announced by the Reserve Bank of India (RBI) on Friday, December 15.



RBI said that the nominal value based on the simple average of closing price between December 13-15, works out to be ₹6,199 per gram. For online subscribers, the issue price of a Gold Bond will be ₹6,149 per gram of gold.

Comments

Popular posts from this blog

The Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025 passed by the Parliament.

 The Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025 passed by the Parliament.  #OnlineGamingBill2025 The Bill takes a balanced approach – promoting what’s good, prohibiting what’s harmful for middle-class and youth.  1/ 🎮Online gaming is an important sector of Digital Bharat. Three segments of online games: 1️⃣e-Sports - Training-based, often played between teams 2️⃣Online Social Games - Fun, educational, community-based 3️⃣Online Money Games - involve financial stakes, addictive, and harmful 2/ e-Sports → PROMOTED Just like cricket or football, e-Sports require strategy, reflexes & teamwork. 👉 Bill gives legal recognition to e-Sports. 👉 Government will launch schemes & programs to promote them. 3/ Online Social Games → PROMOTED Think Angry Birds, card games, casual brain games. 👉 Recognized as a safe way to interact & learn. 👉 Government to support game makers & creators – part of India’s creator economy & software growth. 4/ Online Money G...

દેશના 12 જ્યોતિર્લિંગમાં સામેલ સોમનાથ મંદિર

  ગુજરાતના કાઠીયાવાડમાં આવેલું સોમનાથ મંદિર ફક્ત દેશ જ નહીં પરંતુ સમગ્ર દુનિયામાં પોતાની આગવી ઓળખ બનાવી ચૂક્યું છે. દેશના 12 જ્યોતિર્લિંગમાં સામેલ સોમનાથ મંદિરનો ઉલ્લેખ શિવપુરાણમાં પણ જોવા મળે છે. આ મંદિર ગુજરાતને પર્યટનના નકશામાં અવ્વલ બનાવવા માટે પણ જાણીતું છે. રાજ્યની અર્થ વ્યવસ્થાને પણ મજબૂતી આપવામાં સોમનાથ મંદિરનો મહત્વનો ફાળો છે. દર વર્ષે સામાન્ય માનવીથી લઇને સેલિબ્રિટી સુધીના લોકો અહીંયા દર્શનાર્થે આવે છે. અમેરિકન તપાસ એજન્સી એફબીઆઇના કહેવા પ્રમાણે સંદિગ્ધ આતંકવાદી ડેવિડ હેડલી અને તહવ્વુર રાણાની મદદથી લશ્કરે તોઇબાએ આ મંદિર પર હુમલો કરવાની યોજના પણ બનાવી હતી. ઇતિહાસ સાક્ષી છે કે સોમનાથ મંદિરને વર્ષ 1024માં મહમુદ ગઝનવીએ તોડી પાડ્યું હતું. ગઝનવીએ શિવલીંગને નુકસાન પહોંચાડી મંદિરને ભેટ અપાયેલા સોના-ચાંદીના દાગીનાની લૂંટ કરી હતી. ગઝનવીએ શિવલીંગને તોડવાનો પ્રયત્ન કર્યો હતો પરંતુ શિવલીંગ ન તૂટતા તેણે મંદિર ફરતે આગ લગાવી દીધી હતી. ગઝનવીના આક્રમણ બાદ સોમનાથ મંદિર એક ખંડેર જેવું બની ગયું હતું. આ ઘટના પછી રાજા ભીમદેવ અને વર્ષ 1093માં સિદ્ધરાજ જયસિંહે આ મંદિરના જીર્ણોદ્ધારમાં મહત્વની...

SP, SSP, IG અને DIGમાં કોણ હોય છે સીનિયર

 DGP (ડાયરેક્ટર જનરલ ઓફ પોલીસ) પોલીસ વિભાગમાં સૌથી મોટું પદ ડાયરેક્ટર જનરલ ઓફ પોલીસનું હોય છે. આ IPS રેન્કના અધિકારી હોય છે, જે UPSCની સિવિલ સર્વિસેઝની પરીક્ષા પાસ કર્યા પછી બને છે. સૌથી પહેલા તેમને ASPના પદ પર તૈનાત કરવામાં આવે છે. ત્યાર પછી પ્રમોશન આપી SP બની જાય છે. પછી SSP પદ માટે પ્રમોશન મળે છે. SSP પદ પછી DIGP પદ માટે નિયુક્ત થાય છે. DIGP પદ પછી IGP પદ માટે પ્રમોશન પ્રાપ્ત થાય છે. IGP પદ પછી તમને ASSITANT DIRECTOR GENERAL OF POLICE (ADGP)ના પદ પર નિયુક્તિ મળે છે. ત્યાર પછી DGP પદ માટે પ્રમોશન આપવામાં આવે છે. ત્યાર પછી એની ઉપર સમગ્ર પ્રદેશના કાનૂન વ્યવસ્થાની જવાબદારી હોય છે. આઇજી (IG) પોલીસ વિભાગમાં DGP પછી આઇજી(એડિશનલ ડાયરેક્ટર જનરલ ઓફ પોલીસ)નું પદ આવે છે. UPSCની સિવિલ સર્વિસેઝ પરીક્ષા પાસ કરી બને છે. ઘણા વર્ષો સુધી SPના પદ પર કામ કર્યા પછી એમને પ્રમોશન આપી આઇજી બનાવી દેવામાં આવે છે. આ ડીજીપીને રિપોર્ટ કરે છે. એની અંડર DIG કામ કરે છે. DIG (પોલીસ મહાનિરીક્ષક) DIGનું ફૂલ ફોર્મ Deputy Inspector General of Police થાય છે. આ પદ પર કામ કરવા વાળા પોલીસ અધિકારીના ખભા 3 સ્ટાર હ...

क्या घर में महाभारत रखने से लड़ाई होती है?

  बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए और ना ही इसका घर में पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे घर में लड़ाई-झगड़े होते हैं। क्या यह धारणा सही है या नहीं? आओ जानते हैं इस संबंध में खास बात। 1. चार वेदों के बाद महाभारत को पांचवां वेद माना गया है। अर्थात इसे वेद के समान दर्जा प्राप्त है। जब वेद रखे जा सकते हैं तो इसे भी रखा जा सकता है क्योंकि वेद में भी महाभारत के युद्ध के समान ही दशराज्ञ और इंद्र-वृत्तासुर का वर्णन मिलता है। दशराज्ञ या दसराजा के युद्ध में भी आपसी कुल की ही लड़ाई का वर्णन मिलता है।   2. कई घरों में दुर्गा सप्तशती, रामायण, पुराण या अन्य ग्रंथ मिलते हैं। सभी में ही युद्ध का वर्णन मिलता है तो यह समझना की युद्ध का वर्णन होने के कारण हम इसे घर में नहीं रखें तो यह उचित नहीं।    3. कोई यह मानता है कि इसे घर में रखने से रिश्तों में घटास आती है तो रामायण में भी रिश्तों को लेकर बहुत कुछ है। आप यह सोच सकते हैं कि इससे आपका दाम्पत्य जीवन खराब हो सकता है और आपको भी वन में रहना पड़ सकता है। घर में ऐसे कई उपन्यास भी होंगे जिसमें रिश्तों...

जिस बुजुर्ग को मामूली समझकर टिकट फाड़़ दी गई. उसी ने एक कॉल मेंपूरी एयरलाइंस बंद करवा दी ।

 सर्दियों की सुबह थी। दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़ अपने चरम पर थी। बिजनेस ट्रैवलर्स लैपटॉप लेकर भाग रहे थे। परिवार छुट्टियों पर जाने को तैयार थे और हर तरफ चकाचौंध थी। इसी भीड़ में एक बुजुर्ग व्यक्ति धीरे-धीरे चलते हुए एयरलाइंस के काउंटर तक पहुंचे। उनका पहनावा सादा था। सफेद कुर्ता पाजामा, ऊपर एक पुराना भूरे रंग का स्वेटर, और पैरों में फटी सी चप्पल। हाथ में एक प्लास्टिक कवर में रखी हुई प्रिंटेड टिकट थी। शायद कहीं से किसी ने निकाल कर दी हो। उनके चेहरे पर शांति थी। लेकिन आंखों में एक थकान भी जैसे कोई लंबा सफर तय करके आया हो। और अब केवल कंफर्म सीट का आश्वासन चाहिए। उन्होंने काउंटर पर खड़ी लड़की से बड़े विनम्र स्वर में पूछा। बिटिया यह मेरी टिकट है। सीट कंफर्म है क्या? मुझे जयपुर जाना है। लड़की ने एक नजर उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा। फिर मुंह बनाया और बोली, "अंकल, यह रेलवे स्टेशन नहीं है। यहां बोर्डिंग ऐसे नहीं मिलती। पहले ऑनलाइन चेक इन करना पड़ता है। बुजुर्ग थोड़ा घबरा गए। मुझे नहीं आता बेटा। यह सब बस आप एक बार देख लो। प्लीज। मेरी बहू अस्पताल में है। पास खड़ा एक और कर्मचारी हंसते हुए बोला। अरे...

सहजन (ड्रमस्ट‍िक) का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है. सर्दी-खांसी, गले की खराश और छाती में बलगम जम जाने पर सहजन का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है.

सहजन (ड्रमस्ट‍िक) का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है. सर्दी-खांसी, गले की खराश और छाती में बलगम जम जाने पर सहजन का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है. आप ...

ईस्वी (AD) और ईसा पूर्व (BC) में क्या अंतर होता है?

 AD का मतलब ईसा मसीह के जन्म के बाद की तारीख से है जबकि BC का मतलब ईसा मसीह के जन्म के पहले से है. AD का फुल फॉर्म Anno Domini होता है जबकि BC का फुल फॉर्म Before Christ होता है. जहाँ पर AD लिखा होता है उसका मतलब “ईसा के जन्म के वर्ष” से होता है.  वर्तमान में वर्ष की गणना ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा-मसीह के जन्म की तिथि से की जाती है. यदि कोई घटना वर्ष 2017 में घटती है तो इसका मतलब है कि यह घटना ईसा मसीह के जन्म के 2017 वर्ष बाद घटी है. ईसा मसीह के जन्म के पूर्व की सभी तिथियाँ ई. पू. (ईसा से पहले) के रूप में जानी जाती हैं. ई. पू. को अंग्रेजी में Before Christ या B.C. या BCE कहा जाता है. ईस्वी (AD) का क्या अर्थ होता है? (Meaning of AD) कभी कभी तिथियों के पहले AD (हिंदी में ई.) लिखा मिलता है. AD में “एनो डोमिनि” (Anno Domini) जो कि दो लैटिन शब्दों से मिलकर बना है. जहाँ पर AD लिखा होता है उसका मतलब “ईसा के जन्म के वर्ष” से होता है. A.D. का अर्थ लैटिन भाषा में अर्थ "हमारा ईश्वर का वर्ष" होता है. इसका उपयोग जूलियन और ग्रेगेरीयन कैलेंडर में वर्ष को संख्यात्मक रूप से दर्शाने क...

School admission press release : સૈનિક સ્કુલ બાલાચડી ખાતે પ્રવેશ મેળવવા ઇચ્છુક વિદ્યાર્થીઓ માટે આ સમાચાર છે મહત્વના

સૈનિક સ્કૂલ બાલાચડી જામનગર ખાતે વર્ષ ૨૦૧૮-૧૯માં ધોરણ ૬ તથા ૯ માં ફક્ત છોકરાઓના પ્રવેશ મેળવવા માટે અરજીઓ મંગાવવામાં આવેલ છે.પ્રવેશ માટેના ઓનલાઇન અરજી પત્રક ફોર્મનુ વેચા...

Gujarat Rojgar Samachar 19 May 2021

  Personality : मिसाइल मैन डॉ. अब्दुल कलाम

प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर

 असम का कामाख्या मंदिर सदियों से पूज्नीय रहा है। आज भी यहां दुनिया भर से रोज़ाना हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। गुवाहाटी शहर की निलांचल पहाड़ियों पर स्थित ये मंदिर भारत में 51 शक्ति पीठों के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। कामाख्या देवी को समर्पित ये मंदिर शक्ति और तंत्र पूजा का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये मंदिर क्यों अनोखा है? इस मंदिर में न तो कोई मूर्ति है और न ही किसी देवी की आकृति है, यहां बस पत्थर में तराशा हुआ योनि का एक प्रतिरूप है जिसकी श्रद्धालु पूजा करते हैं। असम के प्रारंभिक इतिहास में कामाख्या देवी नाम प्रधान नामों से से एक है। कामाख्या कामरुप अथवा प्राचीन असम की अधिष्ठातृ देवी थी। इस वजह से इसे कामरुप-कामाख्या भी कहा जाता है। माना जाता है कि कामाख्या इस प्रांत के आदिवासियों की माता देवी हुआ करती थीं। माता देवी की पूजा करने वाले संप्रदाय का संबंध खासी और गारो जैसी मातृस्वामिक जानजातियों से है जो नीलांचल पहाड़ियों में रहती थीं। कुछ प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार, कामाख्या काली का रुप है। अन्य ग्रंथों में कामाख्या को शिव की पत्न...