हुआ यूँ कि जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज के बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साहब का स्कूल पढ़ा-लिखाकर सबको Certificate बांटेगा। सब बच्चे चले स्कूल। हाथी का बच्चा भी आया, शेर का भी, बंदर भी आया और मछली भी, खरगोश भी आया तो कछुआ भी, ऊँट भी और जिराफ भी। FIRST UNIT TEST/EXAM हुआ तो हाथी का बच्चा फेल। "किस Subject में फेल हो गया जी?" "पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गया, हाथी का बच्चा।" "अब का करें?" "ट्यूशन दिलवाओ, कोचिंग में भेजो।" अब हाथी की जिन्दगी का एक ही मक़सद था कि हमारे बच्चे को पेड़ पर चढ़ने में Top कराना है। किसी तरह साल बीता। Final Result आया तो हाथी, ऊँट, जिराफ सब के बच्चे फेल हो गए। बंदर की औलाद first आयी। Principal ने Stage पर बुलाकर मेडल दिया। बंदर ने उछल-उछल के कलाबाजियाँ दिखाकर गुलाटियाँ मार कर खुशी का इजहार किया। उधर अपमानित महसूस कर रहे हाथी, ऊँट और जिराफ ने अपने-अपने बच्चे कूट दिये। नालायकों, इतने महँगे स्कूल में पढ़ाते हैं ...