यहूदी नरसंहार की एक पीड़िता एनी फ्रैंक (Anne Frank) ने अपनी डायरी में एक बहुत ही साधारण सी बात लिखी थी कि no one has ever become poor by giving. 'देने से आजतक कोई गरीब नहीं हुआ', यह साधारण सी बात अपने अंदर इतनी असाधारणता समेटे हुए है कि इसके बारे में लिखने बैठा जाए, तो शब्द कम पड़ जाएंगे. हमारे देश में परोपकार और दान की महत्ता को बताती हुई कई पौराणिक कथाएं हैं. समाज कल्याण पर करीब 1200 करोड़ खर्च करता है टाटा ग्रुप इस सूची में एकमात्र दूसरे भारतीय उद्योगपति अजीम प्रेमजी शामिल हैं. अजीम प्रेमजी (azim premji) ने अपनी 22 अरब डॉलर की पूरी संपत्ति दान कर दी है. इस सूची में इन दो भारतीयों के अलावा भारत का कोई अन्य धनकुबेर शामिल नहीं है. वैसे, जमशेदजी टाटा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने देश से जितना कमाया, उससे ज्यादा वापस दिया. ऐसा कहने का बड़ा कारण भी है. दरअसल, टाटा समूह की लिस्टेड कंपनियों की कमाई का 66 फीसदी हिस्सा दान के रूप में दिया जाता है. जमशेदजी टाटा की विरासत संभालने वाले रतन टाटा ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए इसी साल मार्च में 1500 करोड़ रुपये दान किए ...